Looking down the river Jhelum, from the middle of the Zero Bridge, I always felt lighter, and my spirits uplifted. I always felt its serpentine stream whispering into my ears. Though I could not make much out of those whispers. I was just a young teenager full of exuberance and energy. A chrysalis jostling to open the wings. An embryo ready to break the shell. Restless kitten hustling around in its own bliss.
हमारा दृश्य रूप हैं हमारा शरीर। यह प्रकृति की अद्भुत रचना है।इसमें अनन्त शक्तियाँ निहित हैं। सारी प्राप्तियों का साधन शरीर ही है। जीवन में सब कुछ प्राप्त करने का साधन शरीर ही हैं। इसे स्वस्थ, सुगठित, क्रियाशील, ऊर्जावान व अध्यवसायी बनाए रखने का दायित्व हम पर ही है। इसमें कुछ दोष आ यगा तो हम अपना कत्र्तव्य पथ भूल इस साधन की देख-रेख में लग जाएँगे हमारा लक्ष्य पीछे रह जाएगा।
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उन्हें, जिन्हें हमेशा रुचा, और रास आया मेरा साहित्यकारपना। उनके मार्गदर्शन और प्रोत्साहन ने मेरी कलम को प्रदान किया निरंतर संबल। मेरी संवेदना को जिनसे मिले ‘पर’ जिनके बूते अंतस में उदित हुई साहित्याकाश मे ं जगमगाने की आकांक्षा।
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देवता भी स्वर्ग मे यह गीत गाते हैं कि भारत भूमि मे उत्पन्न होने वाल ेलागे धन्य है। यह भारत स्वर्ग और मोक्ष का सेतु है। स्वर्ग में सुखों को भोग लेने के बाद देवता भी भारत भूमि पर फिर जन्म लेते है।।
हावड़ा मेल अपनी पूरी रफ्तार से चली जा रही थी। निशा आज पूरे एक साल के बाद मायके जा रही थी। उसे पता हंै, कि पापा, बड़ े भईया उसे लने े स्टेशन पर आए ही होगे।ं मांँ बड़ी माँ और भाई-बहनों की पूरी पलटन घर के बाहर वाले बरामदे पर ही खड़ े प्रतीक्षा कर रहे होगे।ं दौड़कर सबसे गले ं मिलूँगी। माँ की ममता भरी गोद और भाई-बहनो ं की चुहल बाजियाँ की याद आत े ही निशी फिर से बचपन की स्मृतियो ं मंे खो ं गई सामने की बर्थ पर पति सुधांशु सोए हुए हंै। खिड़की के पास बैठी निशा अपन े अतीत के पन्नो ं को शनैः शनैः पलटने लगी।
इस संग्रह में शामिल रचनाओं में सरिता ने जीवन की विडम्बनाओं को शब्द देने की कोशिश की है। वैसे भी मेरा व्यक्तिगत रूप से यह मानना है कि की जब कोई नवोदित कवि कुछ नया लिखने का सोच रहा होता है तो हमे उसका उत्साहवर्धन करना चाहिए क्योंकि वह नया रचनाकार दुनियां में कुछ अच्छा करना चाहता है।हो सकता है उसकी भाषा, शब्द संयोजन कमजोर हो लेकिन जो कार्य वह करना चाहता है अर्थात कविता लिखना चाहता है तो यह तय है कि उसका उद्देश्य तो पवित्र है।
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