Aghori Baba Ki Gita (Vigyan ki punarsthapna) (Hindi)
इस कहानी के मुख्य पात्र की यात्रा अब शुरू होती है, अलीगढ़ की जहाँ एक झाड़ू लगाने वाला मेहतर, जिसके बारे में प्रसिद्ध है कि वो शास्त्रों को बहुत बड़ा ज्ञाता है, उसके पास जाना है ! लेकिन क्या एक ब्राहमण को ज्ञान की तलाश में, एक मेहतर से भगवद्गीता को समझना चाहिये ? क्या उसके पास इतना ज्ञान है भी, जो उसके पास जाया भी जाए ! किन्तु जब मुख्य पात्र, अलीगढ़ में किशोर नाम के उस मेहतर से मिलता है, तो भौचक्का रह जाता है धर्म को लेकर, जाति व्यवस्था को लेकर, वर्ण व्यवस्था पर, कर्म और उसके फल, शास्त्रों के विभिन्न शब्दों के अर्थ जैसे अहिंसा परमो धर्मः ज्योतिष, गणित, छंद शास्त्र आदि पर जैसी बातें उस मेहतर को पता हैं, वैसी बातें तो बड़े बड़े पंडितों को नहीं पता ज्ञान प्राप्ति की चाह में, मुख्य पात्र, उस मेहतर से, सीखता है, गीता में लिखित गूढ़ ज्ञान और कर्मयोग छंद शास्त्र से बाइनरी सिस्टम, धनुर्वेद से पदम, बवेपदम आदि, शास्त्रों की कथाओं में छिपा खगोल विज्ञान, जिसमें बात है, सोलर सिस्टम के दसवें ग्रह की द्य ऐसी अनेकों रहस्यमयी बातों का पिटारा है, किशोर जी लेकिन जैसा कि हर पढ़ाई के बाद होता है, यहाँ भी, पढ़ाने के बाद किशोर जी ने, मुख्य पात्र की परीक्षा ली और परीक्षा थी, परोपकार करने की जिसमें मुख्य पात्र फेल हो गया, वो एक ऐसा परोपकार नहीं कर पाया, जिससे योगी होने के मार्ग पर वो आगे बढ़ सके फिर क्या हुआ ? क्या मुख्य पात्र को भगवद्गीता का गूढ़ रहस्य समझ आया ? क्या परीक्षा में फेल होने के बाद, उसकी ज्ञानयात्रा भी समाप्त हो गयी क्या एक ब्राहमण का, एक मेहतर से, शास्त्रों का ज्ञान लेना उचित है ? ऐसे सभी प्रश्नों के उत्तर हैं, इस अघोरी बाबा की गीता में
Mere Dil ki Suno(मेरे दिल की सुनो) (Hindi)
'मेरे दिल की सुनो', नीलिमा पाठक पांडेय की व्यक्तिगत जज्बातों के कई रंगो से सृजन किया हुआ एक कविता संग्रह है। उनके अवलोकन और अनुभवों को दर्शाते हुए उनकी ये एक सच्ची कोशिश है। Nilima Pathak Pandey, the author has been true to her observations and experiences to bring you a beautifully sculpted collection of poetry - ' मेरे दिल की सुनो'
Manav Jeevan Ki Raah ( Hindi)
देवता भी स्वर्ग मे यह गीत गाते हैं कि भारत भूमि मे उत्पन्न होने वाल ेलागे धन्य है। यह भारत स्वर्ग और मोक्ष का सेतु है। स्वर्ग में सुखों को भोग लेने के बाद देवता भी भारत भूमि पर फिर जन्म लेते है।।