पहला कदम नाम कि किताब में प्रिय जनो के लिए कई सारी कविताएं है। लेखिका ने बरेली उत्तर प्रदेश से अपने चाहने वालो के बारे में सभी भावनाओ को कलम बद्घ करने का बीड़ा उठाया है और लेखन की इस दुनिया में उनकी यात्रा कैसे शुरू हुई इसका भी उल्लेख है । यहां इस दुनिया में आम इंसान की तरह सफर तो सभी करते है पर जो आम से खास तक का सफर तय कर के उसे पार कर लेते है वहीं असल मायने में अपनी जंग जीत जाते है कुछ ऐसा ही सफर लेखिका कृतिशा ( चिरैया) ने भी तय किया है। "इस चिरैया को किसी पिंजरे और कैद की जरूरत नहीं क्यूंकि अपनी रियासत की रानी भी यही है, साम्राज्य भी इसका , राज भी और यहां की हुकूमत भी " " शिक्षिका हूं मै किताबो से बढ़कर, ज़िन्दगी सही तरीके से जीना का ढंग सिखा सकती हूं मै इंसान को असल मैयनो में इंसान बना सकती हूं।
सम ~समभाव(equanimity) ,संयुक्त करना, संक्षिप्त विवरण देना,मिलाना ,जोड़ना, योग,जोड़,सम्भावना, सम वेदना और सम शानI “सम” मानव की पहली हिंदी रिक्त कविता, रचना है I First attempt of commonplace, blank verses and relatable poetry by Author Manav
हावड़ा मेल अपनी पूरी रफ्तार से चली जा रही थी। निशा आज पूरे एक साल के बाद मायके जा रही थी। उसे पता हंै, कि पापा, बड़ े भईया उसे लने े स्टेशन पर आए ही होगे।ं मांँ बड़ी माँ और भाई-बहनों की पूरी पलटन घर के बाहर वाले बरामदे पर ही खड़ े प्रतीक्षा कर रहे होगे।ं दौड़कर सबसे गले ं मिलूँगी। माँ की ममता भरी गोद और भाई-बहनो ं की चुहल बाजियाँ की याद आत े ही निशी फिर से बचपन की स्मृतियो ं मंे खो ं गई सामने की बर्थ पर पति सुधांशु सोए हुए हंै। खिड़की के पास बैठी निशा अपन े अतीत के पन्नो ं को शनैः शनैः पलटने लगी।
इस संग्रह में शामिल रचनाओं में सरिता ने जीवन की विडम्बनाओं को शब्द देने की कोशिश की है। वैसे भी मेरा व्यक्तिगत रूप से यह मानना है कि की जब कोई नवोदित कवि कुछ नया लिखने का सोच रहा होता है तो हमे उसका उत्साहवर्धन करना चाहिए क्योंकि वह नया रचनाकार दुनियां में कुछ अच्छा करना चाहता है।हो सकता है उसकी भाषा, शब्द संयोजन कमजोर हो लेकिन जो कार्य वह करना चाहता है अर्थात कविता लिखना चाहता है तो यह तय है कि उसका उद्देश्य तो पवित्र है।
'मेरे दिल की सुनो', नीलिमा पाठक पांडेय की व्यक्तिगत जज्बातों के कई रंगो से सृजन किया हुआ एक कविता संग्रह है। उनके अवलोकन और अनुभवों को दर्शाते हुए उनकी ये एक सच्ची कोशिश है। Nilima Pathak Pandey, the author has been true to her observations and experiences to bring you a beautifully sculpted collection of poetry - ' मेरे दिल की सुनो'
Looking down the river Jhelum, from the middle of the Zero Bridge, I always felt lighter, and my spirits uplifted. I always felt its serpentine stream whispering into my ears. Though I could not make much out of those whispers. I was just a young teenager full of exuberance and energy. A chrysalis jostling to open the wings. An embryo ready to break the shell. Restless kitten hustling around in its own bliss.
हमारा दृश्य रूप हैं हमारा शरीर। यह प्रकृति की अद्भुत रचना है।इसमें अनन्त शक्तियाँ निहित हैं। सारी प्राप्तियों का साधन शरीर ही है। जीवन में सब कुछ प्राप्त करने का साधन शरीर ही हैं। इसे स्वस्थ, सुगठित, क्रियाशील, ऊर्जावान व अध्यवसायी बनाए रखने का दायित्व हम पर ही है। इसमें कुछ दोष आ यगा तो हम अपना कत्र्तव्य पथ भूल इस साधन की देख-रेख में लग जाएँगे हमारा लक्ष्य पीछे रह जाएगा।
At the lobby the manager was waiting, it appeared that he was happy that tiger was sighted which meant that in actuality tigers make appearance. So all in all the group had spotted Cleopatra. There was no room for controversies, so they gleefully enjoyed the tea offered by the resort. Victorious, the group made their next move to the cottage for freshening up. Arnold spoke in a loud voice “boys and girls next meeting at eight PM in the lawn”.
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