दुनिया की इस बेतरतीब दौड़ में हम थोड़ी मासूम सी जिंदगी और एक बेहतर समझ से चूक जाते हैं।
युवा कवि योगेंद्र लांजेवार ने कविताओं , नज़्मों एवम् गजलों को अपने अंदाज में आज के समय के हिसाब से कहने की कोशिश की है ।
इनकी गजल के कई शेर किसी किसी दर्शन , किसी फिलोसोफी की भांति मालूम होते हैं जिन्हें सिर्फ दो पंक्तियों में कह दिया गया हो।
“आवेग” एक पठनीय रचना है जो रुचिकर है,आनंददायी है, समझ बढ़ाती है और सबसे बढ़कर ये हम सबके दबे छिपे आवेगों की अभिव्यक्ति है।
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