विजयनगर का एक राजा था, उसका नाम पृथ्वीनाथ था। वह और उसका
सेनापति सचेत अपने वफादार सैनिको के साथ, अपने बार्डॅर के पास अपने
शत्रु का सामना करने हेतु गया। शत्रुओ ने उसके शांतिमय राज्य पर हमला
कर दिया था। शत्रु की सेना बहुत विशाल थी। युद्ध शुरू हुआ, राजा
पृथ्वीनाथ के सारे सैनिक अपने बहादूरी का यथासंभव परिचय कराते हुए
अंततः मारे गये। हार निश्चित देखा सेनापति सचेत ने उन्हे समझाया और
कहा ‘महाराज आप कहीं दूर चले जाये, आज का दिन हमारा नहीं है.....
हुजूर आप जिंदा रहेंगे तो राज्य को फिर से प्राप्त कर सकते हैं और अगर
आप बंदी हो जाते हैं तो फिर दोबारा आपके जैसा राजा नही मिलेगा। और
अगर आप अभी जंग छोड़कर भाग जाते हैं तो फिर से सेना इकट्ठी करके
इस राज्य को पुनः प्राप्त कर सकते हैं।’
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