आजादी मिले कितने बरस हो गये थे। भारत मे अभी भी जातिवाद,
संप्रदायवाद, असमानता जैसे गंदे विचार मौजूद थे। बरसो से यही चली आ
रही थी, अभी भी है और नही लगता कि यह पूर्णरूपेण खत्म होगा, इसलिए
सारे भारतीय इस माहौल मे रगं चुके थे और कुछ को न भी चाहते हुए रंगना
इसमें उनकी मजबुरी थी। बडे लोग छोटे लोग जातियता के आधार पर भी
होते थे। अधिक पैसे वाले लोग उच्च जाति के होते यह उस समय का उसूल
ही था। आज प्रायः देखने को मिलता है ऊँचे जाति के लोग प्रायः अच्छे खान
पान करते है अर्थात् उनका जीवन स्तर ऊँचा ही रहता है। बड़ेे लोग बड़ेे ही
बना रहते हैं और छोटा हमे‛ छोटा, यह हमारे समाज का उसूल बन चुका
है।
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